महोबा। शहर के बजरंग चौक महोबा मे राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी की जंयती शहर के कवियो द्वारा हर्षोल्लास पूर्वक मनायी। स्वंः श्री द्विवेदी की जंयती पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरूआत माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत कर की गयी। गोष्ठी मे उपस्थित कवियो ने माँ सरस्वती की विन्दना कुछ इस तरह पढ़ी- वंदन मातृ चरण महिमा गम, सुतहित स्वंय वेदना सहकर, क्षमा दायिनी नही भजो तुमसम। तत्पश्चात उन्होने कवि सोहनलाल द्विवेदी की रचना लहरो से डरकर नौका पार नही होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती। श्याम सुंदर तिवारी ने राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए रचना पढ़ी- बंदेल गाथा का ऐतिहास बहुत प्यारा है, पृथ्वीराज चौहान, कीरत सागर के तट मे हारा है। तत्पश्चात ओमकार तिवारी नीरज ने अपनी रचना मे कहा राष्ट्र कवि पद पाकर के भी कभी नही हआ अभिमान, जीवन मे सीधा साधा जीकर नही तजा स्वाभिमान, जिसे सराहा गयातत्पश्चात रामप्रकाश पुरवार ने कहा कि -राष्ट्र कवि सोहनलाल जी ने जीवंत पर्यान्त राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत गीत लिखकर जन मानस के अंदर राष्ट्र भक्ति की गंगा बहाई उन्होने ने भी स्वंः सोहनलाल द्विवेदी जी की पंक्ति पढ़कर उन्हे याद किया। गोष्ठी का संचालन कर रहे संगीताचार्य जगत प्रसाद तिवारी ने राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कुछ दोहे सुनाकर उन्हे याद किया। उनके शब्द थे- मातु शारदा के समन जनम लियो यही काल, जग मे नाम अमर भयो कहते सोहनलाल, गोष्ठी के अंत मे अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्रधानाचार्य शिवकुमार गोस्वामी ने कहा- राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी का महोबा से बहुत निकट का सम्बन्ध रहा। उन्होने बताया कि पारस होटल महोबा का उद्घाटन स्वं: सोहनलाल द्विवेदी ने किया था। और डीएवी इण्टर कालेज महोबा मे एक गोष्ठी को सम्बोधित किया था उन्होने कहा कि युग पुरूष महामानव तुमको करते है शत- शत नमन तेरे भागीरथ प्रयास से सहित्य जगत बना है नन्दन । अंत मे अध्यक्षता कर रहे गोस्वामी ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन जगत प्रसाद तिवारी ने किया
लहरो से डरकर नोका पार नही होती, कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती- श्याम बिहारी निगम